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शिक्षा निदेशक ने शिक्षकों और उनके परिवारों हेतु विशेष वैक्सीनेशन सेंटर का किया उद्घाटन

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नई दिल्ली राजकीय उच्चतर माध्यमिक बाल विद्यालय,माता सुंदरी रोड स्थित दिल्ली सरकार के विद्यालय में शिक्षक परिवारों हेतु पूर्णत: उन्हीं के लिए समर्पित एक कोविड-वैक्सीनेशन सेंटर का उद्घाटन दिल्ली के शिक्षा निदेशक उदित प्रकाश राय ने किया। इस वैक्सीनेशन सेंटर पर विशेष रूप से दिल्ली के शिक्षकों ने कोरोना काल में जो फ्रंटलाइन वर्कर्स का काम किया है, उन्हीं शिक्षकों और उनके परिवारों को सम्मान देने के लिए, उनकी सुरक्षा के लिए इस कोविड-वैक्सीनेशन सेंटर का उद्घाटन किया गया है। यह सुबह 9:00 बजे से शाम 5:00 बजे तक प्रतिदिन वैक्सीनेशन के लिए काम करेगा।  इस अवसर पर नई दिल्ली क्षेत्र की डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट आकृति सागर, दिल्ली सरकार के शिक्षा विभाग की क्षेत्रीय निदेशक अफ़शा यासमीन, उप शिक्षा निदेशक सेंट्रल डिस्ट्रिक्ट विकास कालिया, उप शिक्षा निदेशक जोन 27 हंस राज मीणा तथा विद्यालय के प्रमुख संजीव कुमार सहित विभाग के और शिक्षक परिवारों के अनेक गणमान्य लोग उपस्थित थे। मीडिया और पत्रकारों को संबोधित करते हुए शिक्षा निदेशक उदित प्रकाश राय ने इस विशेष कोविड-वैक्सीनेशन सेंटर जहां पर वैक्सीनेशन केवल शिक्...

शादी के बाद अपनी अलग पहचान बनाना क्या वाक्य ही मुश्किल है, जबाव है नहीं: नम्रता दूबे

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शादी के बाद अपनी अलग पहचान बनाना क्या वाकई मुश्किल है जवाब है नहीं। मैं हजार बार गिरी पर अगर हजार बार गिरने से मैंने प्रयास करना छोड़ दिया तो क्या कभी मैं उठ पाऊंगी कभी नहीं। अगर मैं हजार बार गिरती हूं तो हजार बार ऊदूंगी और तुम्हें बताऊंगी कि ये अंत नहीं। ये बेहतरीन पंक्तियां एक ऐसी कलाकार के लिए जो महिलाओं के लिए आज किसी नई सोच और उम्मीद से कम नही है। नाम है नम्रता दुबे जिन्होंने अपने जीवन में कई सफल मॉडलिंग शो किए हैं और महिला सशक्तिकरण के लिए भी अपनी आवाज उठाती है। दृढ़ निश्चय और संकल्प के साथ नम्रता दुबे ने ग्लैमरस इंडस्ट्री में अपने नाम का दबदबा कायम रखा है । इनकी खास उपलब्धि है। - मोस्ट ब्यूटीफुल मॉम 2008  - मिसिज़ स्टाइल आईकॉन 2018 - मिसिज़ बेस्ट कास्ट्रम 2018 - मिस देहरादून सेकंड रनर अप - मिसिज़ महाराष्ट्र ग्लैमरस 2017 नम्रता दुबे कहती हैं कि मेरे करियर की शुरुआत दो चरणों में हुई थी। एक तो शादी से पहले और शादी के बाद। शादी से पहले मेरे करिअर की शुरुआत हुई थी उस दौरान मुझे ब्यूटी, फैशन इंडस्ट्री में काफी ज्यादा दिलचस्पी थी। इसलिए मैने मिस दून पैजन्ट में पार्टिसिपेट किया...

समय है ज्ञान को किताबों से बाहर निकालने काआज सोशल मीडिया केवल अपनी बात कहने का एक सशक्त माध्यम नहीं रह गया है बल्कि काफी हद तक वो समाज का आईना भी बन गया है। क्योंकि कई बार उसके माध्यम से हमें अपने आसपास की वो कड़वी सच्चाई देखने को मिल जाती है जिसके बारे में हमें पता तो होता हैलेकिन उसके गंभीर दुष्परिणामों का अंदाजा नहीं होता। ताजा उदाहरण सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल होते एक वीडियो का है जिसमें कॉलेज के युवक युवतियों से हाल के विधानसभा चुनावों के बाद नई सरकार के विषय में उनके विचार जानने की कोशिश की जा रही है। प्रश्नकर्ता हर

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युवक युवती से पूछती है कि चुनावों के बाद मध्यप्रदेश का राष्ट्रपति' किसे बनना चाहिए? किसी ने किसी नेता का नाम लिया तो किसी ने दूसरे का। एक दो ने तो यहां तक कहा कि उसे लगता है कि शिवराज को एक और मौका दिया जाना चाहिए। लेकिन एक भी युवा ने यह नहीं कहा कि प्रश्न ही गलत है क्योंकि राज्य में राष्ट्रपति नहीं मुख्यमंत्री होता है। लेकिन बात यहीं खत्म नहीं होती। प्रश्नकर्ता ने आगे पूछा कि ‘दिल्ली का राष्ट्रपति कौन है, तो किसी ने केजरीवाल किसी ने प्रणब मुखर्जी तो किसी ने मोदी का नाम लिया। देश के युवाओं की इस स्थिति पर क्या कहा जाए? इसका दोष किसे दिया जाए? इन बच्चों को? या फिर हमारी शिक्षा प्रणाली को ? यह विषय केवल इन युवाओं का राजनीति में उनकी रुचि नहीं होने का नहीं है यह विषय है उनके सामान्य ज्ञान का। अपने देश के राष्ट्रपति अथवा प्रधानमंत्री का नाम जानने के लिए किसी विशेष योग्यता अथवा बड़ी बड़ी और कठिन पुस्तकों को पढ़ने की आवश्यकता नहीं होती, आवश्यकता होती है थोड़ी सी जागरूकता की। लेकिन जब देश का तथाकथित पढ़ा लिखा युवा इन सामान्य प्रश्नों पर अपनी अनभिज्ञता जाहिर करता है तो एक साथ कई सवाल खड़े ...

January 2019

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