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शिक्षा निदेशक ने शिक्षकों और उनके परिवारों हेतु विशेष वैक्सीनेशन सेंटर का किया उद्घाटन

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नई दिल्ली राजकीय उच्चतर माध्यमिक बाल विद्यालय,माता सुंदरी रोड स्थित दिल्ली सरकार के विद्यालय में शिक्षक परिवारों हेतु पूर्णत: उन्हीं के लिए समर्पित एक कोविड-वैक्सीनेशन सेंटर का उद्घाटन दिल्ली के शिक्षा निदेशक उदित प्रकाश राय ने किया। इस वैक्सीनेशन सेंटर पर विशेष रूप से दिल्ली के शिक्षकों ने कोरोना काल में जो फ्रंटलाइन वर्कर्स का काम किया है, उन्हीं शिक्षकों और उनके परिवारों को सम्मान देने के लिए, उनकी सुरक्षा के लिए इस कोविड-वैक्सीनेशन सेंटर का उद्घाटन किया गया है। यह सुबह 9:00 बजे से शाम 5:00 बजे तक प्रतिदिन वैक्सीनेशन के लिए काम करेगा।  इस अवसर पर नई दिल्ली क्षेत्र की डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट आकृति सागर, दिल्ली सरकार के शिक्षा विभाग की क्षेत्रीय निदेशक अफ़शा यासमीन, उप शिक्षा निदेशक सेंट्रल डिस्ट्रिक्ट विकास कालिया, उप शिक्षा निदेशक जोन 27 हंस राज मीणा तथा विद्यालय के प्रमुख संजीव कुमार सहित विभाग के और शिक्षक परिवारों के अनेक गणमान्य लोग उपस्थित थे। मीडिया और पत्रकारों को संबोधित करते हुए शिक्षा निदेशक उदित प्रकाश राय ने इस विशेष कोविड-वैक्सीनेशन सेंटर जहां पर वैक्सीनेशन केवल शिक्...

मेंटल हेल्थ डिसऑर्डर एक सामाजिक भेदभाव : डॉ. अलेक्जेंडर थॉमस

 


विरेन्द्र सैनी - जनभावना टाइम्स


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 दिल्ली, 1 जुलाई2020 लीव लव लाफ फाउंडेशन (टीएलएलएलएफ) ने पीएचएफआई और एएचपीआई के साथ साझेदारी करके कॉमन मेंटल डिसऑर्डर पर सर्टिफिकेट कोर्स शुरू किया दिल्ली में 36 प्राथमिक देखभाल चिकित्सकों को कॉमन मेंटल डिसऑर्डर की पहचान करने और उसे संभालने के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा ।  लीव लव लाफ फाउंडेशन (टीएलएलएलएफ), एक चैरिटेबल ट्रस्ट है, जो 2015 में स्थापित किया गया था ।पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया (पीएचएफआई) के सहयोग से यह तनाव, चिंता और डिप्रेशन (एसएडी) का अनुभव करने वाले हर इंसान को जीने की एक आशा देता है।देश में एक प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य संगठनऔर एसोसिएशन ऑफ हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स (इंडिया) (AHPI) ने कॉमन मेंटल डिसऑर्डर (CCCMD) में एक सर्टिफिकेट कोर्स शुरू किया है।


इस कोर्स को शुरु करने का लक्ष्य कॉमन मेंटल डिसऑर्डर की पहचान और प्रबंधन के लिए प्राथमिक देखभाल चिकित्सकों के ज्ञान, कौशल और दक्षताओं को बढ़ाना है।17 राज्यों के 143 प्राथमिक   देखभाल चिकित्सकों ने कोर्स के पहले चरण के लिए रजिस्ट्रेशन कर लिया है जो ऑनलाइन होता है। 65% मेडिकल ग्रेजुएट (MBBS) हैं, जबकि बाकि 35% दूसरे क्षेत्रों में पोस्ट-ग्रेजुएट्स हैं।इसमें भाग लेने वाले लोगों को औसत 16 वर्ष का क्लीनिकल ​​अनुभव है । मौजूद लोगों में से 79% प्राइवेट क्षेत्र से, 17% विभिन्न राज्य सरकारों से और 4% केंद्र सरकार से हैं। कोर्स का पहला चरण चार केंद्रों: दिल्ली, मुंबई, बैंगलोर और कोलकाता से शुरु किया जा रहा है। पीएचएफआईइंप्लीमेंटिंग पार्टनर है, टीएलएलएलएफनॉलेज और ग्रांट पार्टनर है, एएचपीआई स्ट्रेटिजिक पार्टनर है । अधिक जानकारी http://mentalhealthedu.org/ पर है ।कोर्स का पहला मॉड्यूल 27 जून को भाग लेने वाले 36 लोगों के साथ दिल्ली में आयोजित किया गया था।डॉ.कौशिक सिन्हा देब, एसोसिएट प्रोफेसर, विभाग, मनोचिकित्सा, एम्स इस मॉड्यूल के प्रमुख फैकल्टी मेंबर थे।


द लीव लव लाफ फाउंडेशन के ट्रस्टी डॉ. श्यामभट्ट ने कहा “1.3 बिलियन के देश के लिएहमारे पास केवल 8 हजार मनोचिकित्सक हैं।स्पष्ट शब्दों से एक बहुत बड़ी आवश्यकता है और प्राइमरी केयर चिकित्सकों के बिना मेंटल हेल्थकेयर की इसलड़ाई को हम नहीं जीत सकते हैं। डॉ. भट ने इस बात की ओर ध्यान दिलाया कि 15 से 39 वर्ष की उम्र के बीच आत्महत्या भारतीयों की मृत्यु का प्रमुख कारण था।“कई अध्ययनों से पता चला है कि आत्महत्या करने वाले लोगों ने इस घटना से पहले के हफ्तों में अपने प्राइमरी केयर चिकित्सक से परामर्श किया होगा, हालांकि वे कभी मनोचिकित्सक से नहीं मिले होंगे। कॉमन मेंटल डिसऑर्डर का पता लगाने, इलाज और उपचार में चिकित्सक हमारे देश में सबसेआगे वाली पंक्ति में हो सकते हैं।अगर हमारे प्राइमरी केयर चिकित्सक ऐसी बीमारियों का इलाज करने में माहिर हैं, तो हम जानते हैं कि यह देश पूरी तरह बदल सकता है।कम से कम 40% लोग जो अपने चिकित्सकों से परामर्श करते हैं, उनमें महत्वपूर्ण साइकेट्रीक कॉमरेडिटी है। साइकेट्रीक कॉमरेडिटी का इलाज करने से दूसरी शारीरिक कमज़ोरियों में भी सुधार होगा। ”


डॉ. संदीप भल्ला, डैरेक्टर - ट्रेनिंग, पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया, ने कहा "भारत में इलाज का अंतर 70% से अधिक है और जैसा कि डब्ल्यूएचओ द्वारा अनुमान लगाया गया है, 2020 तक लगभग 20% आबादी दूसरी बीमारियों से पीड़ित होगी। कोविड 19 महामारी की वजह से स्थिति बदतर हो सकती है। पीएचएफआईका ट्रेनिंग डिविजन स्वास्थ्य सेवाओं के लिए हेल्थकेयर सेवाओं और उससे जुड़े प्रोफेशनल लोगों को ट्रेनिंग देने और स्वास्थ्य सेवाओं को नई उड़ान दने के लिए तैयार है।हमने 2010 से अलग-अलग कोर्सों के माध्यम से लगभग 30 हजार प्राइमरी केयर चिकित्सकों को ट्रेनिंग दी है ।ये चिकित्सक किसी भी कम्यूनिटी मेंबर के लिए संपर्क करने का पहला बिंदु हैं और इसलिए यह महत्वपूर्ण हो जाता है कि उन्हें कॉमन मेंटल डिसऑर्डर को मैनेज करने के लिए ट्रेनिंग दी जाए । यह कोर्स मेंटल हेल्थ को प्राइमरी हेल्थ सर्विस में जोड़ने, रोगी-केंद्रित और सभी सेवाओं को सुविधाजनक बनाने का ही एक प्रयास है। "


एसोसिएशन ऑफ हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स के अध्यक्ष डॉ. अलेक्जेंडर थॉमस ने कहा, “मेंटल हेल्थ को प्राइमरी केयर के साथ जोड़ा जाना चाहिए।अभी भी मेंटल हेल्थ संबंधी डिसऑर्डर और इसके इलाज को एक सामाजिक भेदभाव से गुज़रना पड़ता है, जो भी इस तरह के डिसऑर्डर से गुज़रते हैं, उन्हें दुनियाभर में, खासतौर पर मिडल इनकम वाले देशों के लोगों को लोगो को हीन और मज़ाक व्यवहार से गुज़रना पड़ता है । लोग अभी भी मानते हैं कि मेंटल डिसऑर्डर केवल जनसंख्या के एक छोटे समूह पर ही असर कर सकता है ।हालांकि, भारत में अकेले ही ग्लोबल मेंटल, न्यूरोलॉजिकल और नशीली चीजों के सेवन से हुए रोग का बोझ लगभग 15% है। इस फेक्ट को मानिए कि इन रोगियों के मुकाबले मेंटल हेल्थ प्रोफेशनल्स की कमी है। इस स्थिति को देखते हुए, एएचपीआई ने पीएचएफआई और टीएलएलएलएफ के साथ मिलकर कॉमन मेंटल डिसऑर्डर में प्राइमरी केयर चिकित्सकों को ट्रेनिंग दी है ।यह मेंटल डिसऑर्डर के मामलों की बढ़ती संख्या से निपटने और सटीक कारण जानने के बाद समय पर उनका इलाज करने की दिशा में एक कदम है। ”पीएचएफआई द्वारा कोर्स की शुरुआत में किए गए एक बेसलाइन अध्ययन में पाया गया कि लगभग 30% चिकित्सकमेंटल हेल्थ वारंट के सही बिहेवियर की पहचान नहीं कर सके।41% चिकित्सकों ने सोचा कि गंभीर मेंटल हेल्थ समस्याओं वाले लोग पूरी तरह से ठीक नहीं हो सकते हैं।जबकि 25% चिकित्सक सिज़ोफ्रेनिया के सामान्य लक्षणों की पहचान करने में असमर्थ थे, केवल 48% जानते थे कि एंग्जाइटी डिसऑर्डर वाले पुरुषों में शराब सेरोग के बढ़ने का ज्यादा जोखिम है।


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